Sunday, January 9, 2011
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी
है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती
है, जो ना समझे तो पानी है !!
कोई ये कैसे बता ये के वो तन्हा क्यों
हैं
वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये
दुनिया क्यों हैं
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों हैं
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी
है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती
है, जो ना समझे तो पानी है !!
कोई ये कैसे बता ये के वो तन्हा क्यों
हैं
वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये
दुनिया क्यों हैं
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों हैं
Monday, June 23, 2008
Tum jahan bhi baith k jatay ho
jis cheez ko haath lagatay ho
main waheen pay baitha rahta hon
os cheez ko chuhta raahta hon
main asi muhabat karta hon
tum kesi muhabat kartay ho?
ZINDGI KI RAHON MAIN
EK LAMHA LAGTA HAI
DIL KISI PER ANE MAIN
MUJ KO B MILA THA WO
JIS KO DEKHTE HI DIL BE TAHASHA DHARKA THA
MUJ SE KEH RAHA THA WO!!!
TUM SE PAYAR HAI MUJ KO
MUSKURA KER MAIN NE B PHOOL LE LIYA US SE
HAATH HAATH MAIN LE KER
PAYAR K ATA KERDA AASMAN PER HUM DONO
CHAHTE THE SAATH URNA
AASMAN PER JEEWAN BHAR KOI UR SAKA HAI KYA?
HAATH HAATH SE CHOOTA
EK SITARA JO TOOTA
TAB KHABAR HOI MUJ KO
EK LAMHA LAGTA HAI
DIL K TOOT JANE MAIN
AUR UMER LAGTI HAI
KIRCHIYAN UTHANE MAIN………………..
Uss waqt se dar aey meri jaan
ik din bane gi teri bhi dastaan
jhuriun ki soorat mein chehrey per
waqt chor jaega kai anmit nishaan
jalte bujhtey chiragh e sehri ki manand
ankhon mein nazar aega bas yahi dhooan
chehrey ki ik ik salwat ki oat mein
kitni hi khawishein hongi pinhaan
chalna phirna ho jaega doobhar
khao gey uthte bethtey oie maan
gar waqt ki qadar nah karogey ajj zafar
nishan e ibrat hogi teri dastaan………………………………..
~ Mujhey apnay lafzoo'n se shikyat hai,
Yeh uss waqt chup ho gaye thay jab inhein bolna tha~
Abhi zidd na ker dil-e-bekhabar
keh pas-e-hajoom sitam gara'n
abhi kon tujh se wafa karay?
abhi kis ko fursatain is qadar
keh sumait kar teri kirchi'aan
teray haq main khud se dua karay!
Abhi zidd na ker dil-e-bekhabar
keh tah gubaar-e-gham-e-jahan!
kahan kho gaye teray chaara ghar
k rah-e-hayat main raay'gaan
kahan so gaye teray humsafar
Abhi ghum ghusaroon ki choat seh
abhi kuch na sun abhi kuch na keh……………………………
Pathar K Naggar Main Ae
Woh Dhond Rahi Thi MoTi
Aur Pathar Se Takrae
Seeshey Se Bani Ek Larki
Is Baat Se Hai Anjani
Jab Reth Chamakti Hai Too
Lagti Hai Woh Durr Se Pani
Yeh Phool Hai Sab Kaghaz
Lekin Woh Samajh Na Pai
Seeshey Se Bani Ek Larki
Pathar K Naggar Mei Ai
Woh Dhond Rahi Thi MoTi
Aur Pathar Se Takrai
Seeshey Ki Bani Larki Se
Keh Doo Na Baad Mei Rona
Kuch Log Hai Joo PiTaaL K
Kehtey Hai Woh Khud Ko Sona
Yeh Jhoot Ka PuL Tootey Ga
Aur Gehri Hai Ghum Ki Khai
Pathar K Naggar Mei Ai
Woh Dhond Rahi Thi MoTi
Aur Pathar Se Takrai ....!!...........................................
दरियाओं के आगे, समंदर में लहरें, अभी और भी हैं
तेरी ज़िन्दगानी के पहलु, बहुत गहरे, अभी और भी हैं
न ठहर जाना, किसी कुंचे को समझ, मंजिल अपनी
कितने ही इम्तेहां, तुझको तो निभाने, अभी और भी हैं
मुमकिन है, थक जायेगा, सम्भालने मे इस पल को
गौर कर, सकून के बहुत लम्हें, अभी और भी हैं
न टूट जाना तू, इंसानों के, नमुक्कमल इंतज़ाम से
बंद कर आँख, देख आसमां, उम्मीदें अभी और भी हैं
हो न रुसवा, ज़माने से, खाकर चोट मोहब्बत मे
हर दिल मे मिलेगा प्यार, चाहतें अभी और भी हैं
गम और तन्हाईयों से, तू यूं न, घबरा जाना कभी
जान ले खुशियों के, कितने ही मायने अभी और भी हैं ………
एक पुराना ख़त
पिछले हफ्ते जाने कहाँ गुम हो गया
लो, मेरा एक और दोस्त
मुझसे जुदा हो गया…………..
जो हैं हमारी बातो में, ख्वाबों में रातों में
उनकी जज़्बातों में शामिल नहीं हूँ मैं…
समझा जिन्हें मंजिल, तोड़ा उन्होंने दिल
कहते हैं उनके प्यार के काबिल नहीं हूँ मैं.
ओ दिल ना हो उदास, मैं हूँ तुम्हारे पास
जुर्म ‘है‘ उनका मगर कातिल नहीं हूँ मैं.
जब लीलेगा मंझधार, ना होगी नैय्या पार
उस बार ’हम’ कहेंगे, साहिल नहीं हूँ मैं.
हम उनके हैं करीब, पर फूटा ये नसीब
उनके सूर्ख होठों को हासिल नहीं हूँ मैं. ……………………
कतरा-कतरा
जो मेरी आँखों से बहता रहा
क्या पता
वह अश्क ही था या कुछ और
बूँद बूँद जो मेरे जिगर से रिश्ता रहा
क्या पता
वह लहू ही था या कुछ और
पल पल
जो आसमान से बरसता रहा
क्या पता
वह तमस ही था या कुछ और
सेहरा सेहरा
जिसे बुझाने को भटकता रहा
क्या पता
वह प्यास ही थी या कुछ और .....!!
घनी धुप में आ जाता है
तुमहरा
ख़याल अक्सर
और छा जाती है
तुम्हरी यादे
छाए की तरह ........
आग का द्हेकता
गोला भी ,
बुझ जाता है
शाम होने तक
पर नहीं थकती हो
तुम ......
अंधियारी रातो
को
टूटते बिखरते
ख्वाबो से अक्सर
डर के
सीने से लिपटकर सो
जात हूँ
तुम्हारी यादे ........
रात भी हार कर
सो जाती है
पर नहीं सोती हो
तुम ........
किसी को पता भी नहीं
मुझमे छुपकर
रहती हो
तुम ..........
Wednesday, June 18, 2008
2u
ठिठुरते, कांपते खड़े दरख्त
ठंडी हवाओं से सिहरती घास
मकानों की छत से फूटते झरने
गलियों में बहते दरिया
दरियाओं पे सफर करती कश्तियाँ
छतरियाँ ताने काम पे जाते लोग
नाचते, छपाके भरते नंगे बच्चें
चाय के गर्म प्यालों से उठती भाप
अब के बरस तो ऊपरवाला महरबान है
दिल खोल के दे रहा है- कहते है बूढे
आओ इस सीन को काट के रख ले
साइंसदान कहते हैं- आने वाले वक्तों में बारिशें कम होगी
रिश्तें सूखते जायेंगे
शायद ऊपरवाला भी इंसानों की तरह सख्त दिल हो जाएगा
Monday, June 16, 2008
chand niklahai tujhe dhondne pagalki tarhan
khushk patton ki tarhan log uray jate hain
shehar bhi ab tu nazar aata hai jungle ki tarhan
phir khayalon main tere qurb ki khushbo jagi
phir barasne lagin ankhen meri badal ki tarhan
bewafaon se wafa kar k gozaari hai hayaat
ye barasta raha weraanon pe badalki tarhan